Patna Airport Runway Expansion : डीएम को सौंपी गई भूमि रिपोर्ट

Patna Airport Runway Expansion : पटना एयरपोर्ट का रनवे लंबे समय से जनता और प्रशासन के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। कई विमानों के संचालन के लिए यह रनवे न्यूनतम मानकों पर खरा नहीं उतरता, जिसकी वजह से वर्षों से इसके विस्तार की मांग की जा रही है। हाल ही में हुए अहमदाबाद प्लेन क्रैश, जिसमें 200 से अधिक लोगों की जान चली गई, ने इस विस्तार की आवश्यकता को और भी गंभीर बना दिया है। वर्तमान रनवे की स्थिति लैंडिंग को जोखिमपूर्ण बनाती है, इसी वजह से अब पटना एयरपोर्ट के रनवे को 700 मीटर तक बढ़ाने की तैयारी है।
इस सिलसिले में छह वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तैयार की गई एक विस्तृत रिपोर्ट पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर त्यागराजन को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट में भूमि का नक्शा, साइट चयन और रनवे विस्तार के लिए आवश्यक बदलावों की अहम जानकारियां शामिल हैं। यह रिपोर्ट जल्द ही अंतिम मूल्यांकन के लिए बिहार सरकार को भेजी जाएगी।
यहाँ जानिए पटना एयरपोर्ट के रनवे को लंबा करने के लिए पटना चिड़ियाघर और आसपास के क्षेत्रों में किए जाने वाले प्रस्तावित बदलावों की पूरी जानकारी।
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पटना एयरपोर्ट रनवे का विस्तार क्यों ज़रूरी हो गया?
पटना एयरपोर्ट का रनवे हमेशा से ही आम लोगों और प्रशासन के लिए चिंता का विषय रहा है। कई फ्लाइट्स के लिए यह रनवे छोटा पड़ जाता है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठते रहे हैं। अहमदाबाद प्लेन क्रैश में 200 से ज़्यादा लोगों की जान जाने के बाद इस मांग ने और ज़्यादा तात्कालिकता हासिल कर ली है।
फिलहाल पटना एयरपोर्ट का रनवे 2,072 मीटर लंबा है, जो कि बड़े विमानों की लैंडिंग के लिए पर्याप्त नहीं है। साथ ही, यहां की 3.5 डिग्री की ग्लाइड पाथ भी खतरे को और बढ़ा देती है, जबकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड 3 डिग्री का होता है। इसी वजह से रात में या कम विजिबिलिटी में फ्लाइट्स का संचालन काफी मुश्किल हो जाता है।
कितनी ज़मीन चाहिए रनवे बढ़ाने के लिए?
पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर त्यागराजन को छह वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम ने विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में लैंड मैपिंग से लेकर साइट चयन तक की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 700 मीटर की अतिरिक्त ज़मीन की ज़रूरत है—जिसमें 500 मीटर जमीन ईस्ट साइड में और बाकी 200 मीटर वेस्ट साइड में है।
इस ज़मीन में कुछ सरकारी ऑफिस, आवासीय इलाके और यहां तक कि पटना चिड़ियाघर का हिस्सा भी आता है। रनवे विस्तार के लिए जो क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं, वहां बड़ी तोड़फोड़ और सीमाओं का बदलाव ज़रूरी होगा।
पटना ज़ू पर पड़ेगा बड़ा असर
इस विस्तार की सबसे संवेदनशील बात है—पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान की ज़मीन का अधिग्रहण। पूर्वी दिशा में विस्तार के लिए चिड़ियाघर से लगभग 15 एकड़ ज़मीन ली जाएगी। इससे जो चीजें प्रभावित होंगी उनमें शामिल हैं:
- ज़ू डायरेक्टर का दफ्तर
- झील का आधा हिस्सा
- फिश हाउस
- 600 से अधिक पेड़
यह इलाका गेट नंबर 2 से शुरू होकर पीर अली पथ तक फैला है। क्योंकि यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे पर्यावरण और वन विभाग से क्लीयरेंस मिलना ज़रूरी होगा।
पश्चिम दिशा में काम थोड़ा आसान
पश्चिमी दिशा में जो 200 मीटर का विस्तार प्रस्तावित है, वहां ज़्यादातर खाली ज़मीन है और कुछ सरकार द्वारा निर्मित इमारतें हैं। इसलिए इस हिस्से में ज़मीन अधिग्रहण आसान रहेगा।
फिर भी, प्रशासन को इस पर तेज़ी से काम करना होगा ताकि दोनों दिशाओं में विस्तार करके रनवे को उस लंबाई तक लाया जा सके जो बड़े विमानों के लिए आदर्श हो।
घंटाघर की ऊँचाई कम करने का सुझाव
रिपोर्ट में एक और ज़रूरी सुझाव दिया गया है—सचिवालय के पास मौजूद घंटाघर की ऊँचाई को घटाने का। फिलहाल इसकी ऊँचाई 49.5 मीटर है, जो विमानों के रास्ते में बाधा बनती है। अधिकारियों का मानना है कि इसे घटाकर 17.5 मीटर तक लाना चाहिए, ताकि इंटरनेशनल 3 डिग्री ग्लाइड पाथ स्टैंडर्ड को हासिल किया जा सके।
कैबिनेट सचिवालय से मंज़ूरी बाकी
पटना डीएम ने रिपोर्ट की समीक्षा कर ली है, लेकिन अंतिम फैसला बिहार कैबिनेट सचिवालय के पास है। कैबिनेट को यह देखना होगा कि ज़मीन किसकी है, पर्यावरणीय असर क्या होगा और आम जनता की भावना क्या है- खासकर जब बात चिड़ियाघर और ऐतिहासिक संरचनाओं की हो।
इसके अलावा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) से NOC लेना भी अनिवार्य होगा। साथ ही DGCA और AAI जैसे एविएशन संस्थानों की मंज़ूरी भी लेनी होगी।
निष्कर्ष
पटना एयरपोर्ट रनवे विस्तार सिर्फ एक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट नहीं है, यह बिहार की हवाई कनेक्टिविटी के लिए एक बड़ा मोड़ हो सकता है। लेकिन इसके लिए कई स्तरों पर मंज़ूरी, क्लीयरेंस और लोक भावना को समझना ज़रूरी होगा। अगर सारी बाधाएं पार कर ली गईं, तो बिहार को एक बड़ा फायदा हो सकता है।
