जून 29, 2025

Bihar : 5 जिलों में बनेगा ‘हथियारों का कारखाना’, देश का नया डिफेंस हब बनेगा

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bihar weapon manufacturing factory
5 disctricts in Bihar will get weapon manufacturing factory.

Bihar News : बिहार में रक्षा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पांच जिलों में ऑर्डनेंस कॉरिडोर बनने जा रहा है। यह कदम राज्य को न केवल आर्थिक रूप से मज़बूत बनाएगा बल्कि बिहार को भारत के रक्षा क्षेत्र में भी एक मज़बूत पहचान दिलाएगा।

हमने इस लेख में ऑर्डनेंस कॉरिडोर से जुड़ी हर जानकारी दी है – किन जिलों में कॉरिडोर बनेगा, इसकी अनुमानित लागत, और इससे होने वाले संभावित फ़ायदे।

क्या है आयुध / ऑर्डनेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट?

ऑर्डनेंस फैक्ट्री कॉरिडोर प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देना है। इसके तहत गोला-बारूद, रॉकेट लॉन्चर, अत्याधुनिक हथियार और मशीन गन आदि का उत्पादन किया जाएगा। नालंदा में पहले से चल रही Bi-Modular Charge System (BMCS) प्लांट की सफलता के बाद यह अगला बड़ा कदम माना जा रहा है।

यह परियोजना न केवल ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को गति देगी बल्कि बिहार की छवि को भी राष्ट्रीय स्तर पर मज़बूत करेगी।

किस-किस जिले में बनेगा ऑर्डनेंस कॉरिडोर

सरकारी योजना के अनुसार, बिहार के जिन 5 ज़िलों में ऑर्डनेंस कॉरिडोर विकसित किया जाएगा, वे हैं:

  • अरवल
  • जमुई
  • मुंगेर
  • बांका
  • कैमूर

भविष्य में जिन अन्य 4 ज़िलों को इसमें जोड़ा जा सकता है, वे हैं:

  • शेखपुरा
  • भागलपुर
  • सारण
  • मुज़फ्फरपुर

इन क्षेत्रों का चयन उनके भूगोल, संपर्क व्यवस्था और सुरक्षा रणनीति के आधार पर किया गया है। हथियार फैक्ट्री या आयुध कॉरिडोर के विकास से बिहार का विकास तय है।

अनुमानित निर्माण लागत

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस कॉरिडोर को विकसित करने में कुल ₹1500 करोड़ की लागत आएगी। इसमें ज़मीन अधिग्रहण, आधारभूत ढांचे का विकास और निर्माण इकाइयों की स्थापना शामिल होगी।

कारखानों में तैयार होने वाले हथियारों की कीमत उनके निर्माण लागत और इस्तेमाल की गई तकनीक पर आधारित होगी।

आर्थिक प्रभाव और रोज़गार के अवसर

इन फैक्ट्रियों की स्थापना से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि राज्य की समग्र अर्थव्यवस्था में भी बढ़ोतरी होगी।

बिहार के युवाओं के लिए यह सुनहरा अवसर होगा, क्योंकि इन यूनिट्स को कुशल, अर्द्ध-कुशल और अकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होगी। अब राज्य के युवाओं को रोज़गार की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

इसके अलावा, लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस, सुरक्षा और सहायक सेवाओं में भी अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।

बिहार का चयन क्यों हुआ?

भौगोलिक दृष्टि से बिहार की स्थिति रक्षा लॉजिस्टिक्स के लिए बेहद अनुकूल है। यह उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सीमा से जुड़ा है और नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है।

यहां पर बने हथियार न केवल देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाना आसान होगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निर्यात संभव होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी यह कॉरिडोर बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार की सीमा अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती है।।

केंद्र सरकार की मंज़ूरी

बिहार के उद्योग मंत्री नितिन मिश्रा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस परियोजना का प्रस्ताव सौंपा है। केंद्रीय स्तर पर इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी भी मिल चुकी है। जैसे ही अंतिम मंजूरी मिलेगी, ज़मीनी कार्य शुरू हो जाएगा।

राज्य सरकार को विश्वास है कि केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को जल्द ही औपचारिक रूप से स्वीकृति दे देगी।

निष्कर्ष

₹1500 करोड़ के निवेश और पांच प्रमुख ज़िलों की भागीदारी के साथ बिहार अब रक्षा क्षेत्र में अपनी मज़बूत मौजूदगी दर्ज कराने की ओर अग्रसर है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में बने लोकोमोटिव को अफ्रीका के लिए रवाना किया था। यह ऑर्डनेंस कॉरिडोर उस उपलब्धि का अगला अध्याय है।

अगर आपने लोकोमोटिव वाली रिपोर्ट मिस कर दी है, तो आप वह लेख यहां पढ़ सकते हैं।


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