जून 15, 2025

बिहार की राजनीति में नीतीश द्वारा वक्फ बिल 2025 का समर्थन के बाद बड़ा बदलाव – Controversial Move Shakes Bihar

Spread the Information!

बिहार की राजनीति में नीतीश द्वारा वक्फ बिल 2025 का समर्थन के बाद बड़ा बदलाव
Bihar Politics

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। यह विधेयक 3 अप्रैल 2025 को लोकसभा और फिर 4 अप्रैल को राज्यसभा में पारित हुआ। इस कानून को पारित कराने में जेडीयू (JD(U)) के समर्थन की अहम भूमिका रही, और यही कारण है कि बिहार की राजनीति में यह विधेयक बहस और विवाद का विषय बन गया है।

इस विधेयक को लेकर खासकर मुस्लिम समुदाय में नाराज़गी देखी जा रही है। कई लोग जेडीयू पर भरोसा तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि पार्टी अब धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से भटक गई है।

इसी बीच, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से जुड़े बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक का तीखा विरोध किया है और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बताया है।

आइए, जानते हैं कि बिहार की राजनीति में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर क्या कुछ घट रहा है और इसके राजनीतिक मायने क्या हैं।

वक्फ बिल विवाद पर जेडीयू के पांच नेताओं का इस्तीफा

बिहार की राजनीति में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मचे बवाल का सबसे बड़ा असर जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) पर देखने को मिल रहा है। इस विधेयक को संसद में समर्थन देने के चलते पार्टी को अल्पसंख्यक समुदायों से कड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है। जगह-जगह रैलियां निकाली जा रही हैं और जेडीयू नेताओं पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने अल्पसंख्यकों की भावनाओं के खिलाफ जाकर वोट किया।

चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में यह मुद्दा बिहार की राजनीति में एक प्रमुख विषय बन गया है। केवल बाहरी विरोध ही नहीं, जेडीयू को अंदरूनी असंतोष का भी सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के पांच मुस्लिम नेताओं — नदीम अख्तर, राजू नय्यर, मोहम्मद तबरेज़ सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शहनवाज़ मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी ने वक्फ बिल पर पार्टी की भूमिका के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। यह घटनाक्रम पार्टी के भीतर संतुलन को बिगाड़ने वाला साबित हो रहा है।

इतना ही नहीं, जेडीयू के कई नेता खुलकर वक्फ संशोधन विधेयक की आलोचना भी कर रहे हैं। पार्टी के विधान परिषद सदस्य (MLC) गुलाम गौस ने तीखा बयान देते हुए कहा, “जो खुद कातिल है, वही अब इंसाफ करेगा — फिर हम न्याय किससे मांगें?”

इसके अलावा, जेडीयू के पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने भी बिल को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। पार्टी के भीतर उठते ये विरोधी सुर आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में बिहार की राजनीति को नया मोड़ दे सकते हैं।

इन सबके बावजूद, वक्फ बिल विवाद पर नीतीश कुमार ने अब तक चुप्पी साध रखी है। उनकी यह चुप्पी आग में घी डालने का काम कर रही है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय के लोग उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल कर रहे हैं और उन्हें समुदाय के साथ धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं।

दूसरी ओर, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम समुदाय कभी नीतीश कुमार का मुख्य वोट बैंक नहीं रहा, इसलिए इसका आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में उन पर अधिक असर नहीं पड़ेगा। वहीं कुछ का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक पर उनका सकारात्मक रुख उनकी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में स्थिर और विश्वसनीय सहयोगी की छवि को मजबूत करता है।

तेजस्वी यादव का वक्फ बिल पर बयान

बिहार की राजनीति
Tejashwi Yadav

आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक का जोरदार विरोध किया है। उन्होंने इस विधेयक को “असंवैधानिक” करार दिया और कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो “वक्फ बिल को कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा।”

तेजस्वी यादव का कहना है कि भाजपा इस विधेयक का इस्तेमाल समाज में धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करने के लिए कर रही है। उन्होंने भाजपा पर यह आरोप भी लगाया कि वह इस मुद्दे को बेरोजगारी, गरीबी और खराब शिक्षा जैसी असली समस्याओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए उठा रही है।

तेजस्वी यादव ने कहा, “भाजपा ‘नागपुर का कानून’ थोपना चाहती है। हम गंगा-जमुनी तहज़ीब में विश्वास रखते हैं और इस विधेयक का डटकर विरोध करते रहेंगे।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो वह वक्फ संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा और उनकी चुप्पी को संदिग्ध बताया। तेजस्वी का कहना है कि जेडीयू अब भाजपा की अल्पसंख्यक विरोधी शाखा की तरह व्यवहार कर रही है। वक्फ बिल के मुद्दे पर बिहार की राजनीति में भारी तनाव पैदा हो गया है।

लालू यादव के वक्फ बिल पर पुराने बयान

हालांकि आज आरजेडी वक्फ संशोधन विधेयक का तीखा विरोध करती नजर आ रही है, लेकिन कुछ लोग इसे दोहरे रवैए (पाखंड) के रूप में देख रहे हैं। लालू प्रसाद यादव के 2010 और 2023 के पुराने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें वे वक्फ बोर्ड के खिलाफ कड़े कानूनों की मांग करते दिखाई दे रहे हैं। इन वीडियो में वह यह बताते नजर आते हैं कि वक्फ बोर्ड ने पटना में किस तरह से अवैध रूप से ज़मीन पर कब्जा किया था।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में इस मौके को चतुराई से भुनाया और कहा कि लालू यादव की जो मांगें थीं, उन्हें अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा कर रहे हैं। इसी कारण से लोग आरजेडी के विरोध को महज वोट बैंक की राजनीति बता रहे हैं।

बिहार में वक्फ बिल पर भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया

बिहार की राजनीति
Vijay Kumar Sinha

इस पूरे घटनाक्रम के बीच, भाजपा ने भी अपने रुख को बेहद स्पष्ट रूप से सामने रखा है। पार्टी ने विपक्ष की आलोचना करते हुए वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने वालों के खिलाफ खुलकर बयान दिए हैं।

बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा अपने एक सख्त बयान को लेकर चर्चा में हैं:“यह पाकिस्तान नहीं है, यह भारत है। यहां नरेंद्र मोदी की सरकार है। वक्फ संशोधन विधेयक के तहत बनाए गए नियमों को जो नहीं मानेगा, उसे जेल जाना होगा।”

भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने भी तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए उन्हें “अशिक्षित” कहा और आरोप लगाया कि वह “मुस्लिम अपराधियों” का पक्ष ले रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि पूरे भारत में वक्फ संपत्ति 37.3 लाख एकड़ है, जिसमें से बिहार में करीब 30,000 एकड़ जमीन है, और वह भी अवैध रूप से कब्जाई गई है।

संजय जायसवाल ने दरभंगा में वक्फ बोर्ड चुनाव के दौरान हुई हिंसक घटनाओं का हवाला देते हुए और सख्त कानूनों की जरूरत पर जोर दिया।

बिहार में वक्फ बिल पर नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया

पूरे विवाद के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक चुप्पी साध रखी है। भारी आलोचनाओं के बावजूद उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक पर अपने रुख को लेकर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। माना जा रहा है कि यह चुप्पी एनडीए गठबंधन की मांगों और मुस्लिम समुदाय में बढ़ते असंतोष के बीच संतुलन बनाने की कोशिश का हिस्सा है।

हालांकि, उनकी यह चुप्पी सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के निशाने पर है।तेजस्वी यादव ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब ऐसा गंभीर मुद्दा चर्चा में है, तब मुख्यमंत्री का एक शब्द न बोलना इस बात का उदाहरण है कि बिहार की सरकार कैसे चल रही है।वहीं दूसरी ओर, एनडीए के कुछ नेता भी नीतीश कुमार की चुप्पी और अस्पष्ट रुख पर सवाल उठा रहे हैं।

निष्कर्ष

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में प्रस्तावित होने के दिन से ही विवादों में घिरा रहा है। विस्तार से चर्चा और बहसों के बावजूद आज भी इस विधेयक को लेकर लोगों के बीच कई तरह की ग़लतफ़हमियाँ और भ्रांतियाँ बनी हुई हैं। हमने इस विषय पर विस्तार से रिपोर्ट किया है और यदि आप वक्फ विधेयक की पूरी जानकारी चाहते हैं तो आप हमारा पहले का लेख यहाँ पढ़ सकते हैं।

जैसे-जैसे वक्फ विधेयक पर बहस तेज़ हो रही है, यह साफ़ होता जा रहा है कि इस विधेयक को बिहार की राजनीति में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। फिर चाहे वह तेजस्वी यादव का इसे रद्द करने का दावा हो, या फिर विजय कुमार सिन्हा द्वारा इसके विरोधियों को गद्दार और राष्ट्रविरोधी कहकर ललकारना—हर मोर्चे पर यह विधेयक राजनीतिक रंग ले चुका है।

जो भी हो, एक बात साफ़ है कि इस विधेयक को लेकर चल रही टकराव और बयानबाज़ी का सीधा असर बिहार की राजनीति पर पड़ेगा।

चूंकि बिहार में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं, ऐसे में यह मुद्दा आने वाले समय में भी बिहार की राजनीति का एक अहम केंद्र बिंदु बना रहेगा। विपक्ष इसकी संवैधानिकता को चुनौती देने के लिए अदालत की राह पकड़ने की तैयारी में है।

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बिहार की राजनीति में फैले इस विवादित हालात पर आधारित इस विस्तृत रिपोर्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

बिहार की सभी खबरों और अपडेट के लिए हमारी वेबसाइट ‘लिट्टी चोखा‘ को सब्सक्राइब करना न भूलें। हम बिहार की राजनीति, इतिहास, संस्कृति, पर्यटन, सरकारी योजनाओं, परीक्षा अपडेट पर विस्तृत जानकारी भी देते हैं|


Spread the Information!

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *