Patna : भारत के सबसे लंबे केबल ब्रिज का उद्घाटन 23 जून को होगा

पटना को जल्द ही भारत का सबसे लंबा केबल-स्टे ब्रिज मिलने जा रहा है! यह बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। 23 जून से कच्ची दरगाह–बिदुपुर ब्रिज की एक लेन आम जनता के लिए खोल दी जाएगी। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे, जिसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन भी उपस्थित रहेंगे। यह ब्रिज दक्षिण बिहार (पटना) को उत्तर बिहार (वैशाली) से राघोपुर दियारा के रास्ते जोड़ेगा।
इस लेख में हम भारत के सबसे लंबे केबल-स्टे ब्रिज के उद्घाटन, रूट, लागत और इसके क्षेत्रीय विकास पर प्रभाव की पूरी जानकारी साझा कर रहे हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार नीचे दिए गए टेबल ऑफ कंटेंट्स का उपयोग कर सकते हैं:
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कच्ची दरगाह–बिदुपुर ब्रिज की एक लेन होगी शुरू
कच्ची दरगाह–बिदुपुर ब्रिज को कुल 6 लेन का बनाया जाना है, लेकिन फिलहाल बिहार सरकार इसकी एक लेन को 23 जून से आम जनता के लिए खोल रही है। यह पुल वैशाली जिले के चकसिकंदर तक जाएगा और राघोपुर दियारा से होकर गुजरेगा।
इस ब्रिज का निर्माण 16 जनवरी 2017 को शुरू हुआ था। इसे एलएंडटी और डेवू कंपनी के संयुक्त उपक्रम द्वारा बनाया गया है। ब्रिज की कुल लंबाई 22.76 किलोमीटर है, जिसमें से 9.76 किलोमीटर हिस्सा केबल-स्टे डिजाइन का है — जो भारत में सबसे लंबा है।
उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ेगा
यह ब्रिज पटना के सबलपुर (बख्तियारपुर कॉरिडोर) से शुरू होकर NH-103 पर स्थित गाज़ीपुर चौक तक जाता है। यह गांधी सेतु पर ट्रैफिक को कम करेगा और एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा। अब दक्षिण बिहार से वैशाली, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जैसे उत्तर बिहार के जिलों तक यात्रा आसान होगी।
ब्रिज की चौड़ाई 32 मीटर है, जिससे भारी वाहनों की आवाजाही भी आसान हो सकेगी। इससे माल ढुलाई तेज होगी और क्षेत्र में ट्रैफिक जाम में भी राहत मिलेगी।
परियोजना की लागत और पैमाना
इस ब्रिज की कुल लागत ₹4,988.40 करोड़ है, जो बिहार के इतिहास की सबसे महंगी सार्वजनिक परियोजनाओं में से एक है। इसमें से ₹696.60 करोड़ भूमि अधिग्रहण में खर्च किए गए, जबकि ₹4,291.80 करोड़ निर्माण पर खर्च हुए।
राघोपुर के विकास की शुरुआत
ब्रिज के पूर्ण रूप से चालू होने के बाद, राघोपुर दियारा क्षेत्र में आर्थिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बेहतर होगी। पहले यहां के लोग नावों और फेरी के जरिए पटना पहुंचते थे।
अब आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं, स्कूल और रोजगार तक पहुंच आसान होगी। साथ ही, इस क्षेत्र में कॉलेज, बैंक और स्वास्थ्य केंद्र जैसी सुविधाएं आने की संभावना बढ़ेगी।
राजनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व
हालांकि उद्घाटन आंशिक है, लेकिन इसे बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किया जा रहा है, जिससे राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। उनका मानना है कि सत्ताधारी दल इसे विकास कार्य के रूप में दिखाकर वोटरों को आकर्षित करना चाहता है।
फिर भी, यह ब्रिज अपने आप में एक प्रतीकात्मक महत्व रखता है। राघोपुर क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए यह ब्रिज और भी खास बन जाता है। भारत का सबसे लंबा केबल-स्टे ब्रिज होना बिहार के लिए गर्व की बात है।
निष्कर्ष
कच्ची दरगाह–बिदुपुर ब्रिज पटना में बने अन्य फ्लाईओवर और ब्रिज के साथ मिलकर राजधानी की कनेक्टिविटी को नया आयाम देगा। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। यह बिहार सरकार की समावेशी विकास नीति को दर्शाता है, जो उत्तर बिहार के इलाकों को भी जोड़ने पर केंद्रित है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने यह भी घोषणा की है कि पटना को जल्द ही वाटर मेट्रो की सुविधा भी मिलेगी, जिससे कनेक्टिविटी और बेहतर होगी। इस विषय पर पूरी रिपोर्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
